2025-06-01विप्लव विकास
कभी मन में प्रश्न उठता होगा कि बांग्लादेशी हिंदुओं के विकल्प सीमित क्यों हैं? बांग्लादेश में शासन भले ही लोकतांत्रिक दिखता हो, लेकिन व्यवहार में वहाँ की राजनीति और शासन इस्लामी कट्टरपंथ वाली है। न तो सरकार कोई ठोस संरक्षण देती है और न ही न्यायिक प्रणाली पीड़ितों को राहत दिला पाती है। 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाले यूनुस की शांति काल दुनिया ने विगत एक वर्ष में देख ही लिया।
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2025-05-25विप्लव विकास
कम्युनिस्टों ने आदिवासी क्षेत्रों में सामाजिक पूंजी का निर्माण एक सुनियोजित रणनीति से किया। जहाँ सरकार की मौजूदगी कम थी, वहाँ माओवादियों ने समानांतर 'जनताना सरकार' स्थापित की, सड़क, स्कूल, अस्पताल और सुरक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं के स्थान पर अपना ढांचा खड़ा किया।
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2025-05-18विप्लव विकास
भारत की आंतरिक सुरक्षा पर जब भी विमर्श होता है, हमारी चेतना प्रायः पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद की ओर जाती है। पुलवामा, उरी और पहलगाम जैसे घटनाक्रम स्मृति में उभर आते हैं। किंतु अंधेरे में छिपा एक ऐसा रक्तपात है, जो आँकड़ों में आतंकवाद से कहीं आगे है, नक्सलवाद। विगत दो दशकों में नक्सली हिंसा ने लगभग 12,000 से अधिक आम नागरिकों और 3,000 से अधिक सुरक्षाबलों की जान ली है।
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2025-05-11विप्लव विकास
आज के समय जब संपूर्ण देश एक निर्णायक युद्ध के लिए मानसिक रूप से प्रस्तुत है तब हमें शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जो संघर्ष शुरू हो गया है उसे अपेक्षित परिणाम तक पहुंचाने हेतु जन-मन को "धर्म हिंसा तथैव च" के सूत्र का भी परिपालन करने के लिए प्रस्तुत करना होगा। यह सूत्र भारतीय दर्शन की उस गहराई को प्रकट करता है जिसमें धर्म की रक्षा के लिए युद्ध को भी धर्म का ही अंग माना गया है।
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2025-05-08विप्लव विकास
डेमोग्राफिक वॉरफ़ेयर, बिना गोली चलाए दुश्मन समाज की आत्मा को भीतर से कमजोरने का षड्यंत्र होता है। भारत के कानून और संविधान की उदारता का खुलकर दुरुपयोग किया जा रहा है। पाकिस्तानी शौहर की बीबी का भारत में बच्चे जनना और मुस्लिम जनसंख्या में लगातार वृद्धि इसी प्रक्रिया के हिस्से हैं।
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2025-04-13विप्लव विकास
देश को अब यह तय करना होगा कि क्या वह केवल बाहरी आतंक से लड़ेगा, या उन अंदरूनी ताकतों से भी टकराएगा जो आतंक के असली चेहरे पर पर्दा डालते हैं? क्या हम केवल कसाब जैसे हत्यारों को फांसी देंगे या उन भारत-विरोधी मानसिकताओं से भी लड़ेगे जो देश को कमजोर करती हैं, विभाजित करती हैं और भ्रमित करती हैं?
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2025-03-30Vikas Singh
मालदा, और मुर्शिदाबाद जैसे जिलों में हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि वहाँ के हिंदू अब अपने ही क्षेत्र में अल्पसंख्यक बन चुके हैं। यह ठीक वही स्थिति है, जो कभी कश्मीर में देखने को मिली थी। 1989-90 के दौरान कश्मीरी पंडितों को उन्हीं के घरों से निकाल दिया गया, उनके घर जला दिए गए, महिलाओं के साथ बलात्कार किए गए, और वे बेघर होकर सड़कों पर या शरणार्थी शिविरों में आ गए। पश्चिम बंगाल इसी दिशा में बढ़ रहा है
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2025-03-23विप्लव विकास
इतिहास के नाम पर हिंदू समाज से बार-बार कहा जाता है कि उसे अपने अतीत की पीड़ाओं को भूलकर आगे बढ़ना चाहिए। हिंदुओं से यह अपेक्षा की जाती है कि वे सहिष्णु बने रहें, जबकि दूसरे पक्ष को अपनी मजहबी भावनाओं के प्रदर्शन की पूरी स्वतंत्रता दी जाती है। यदि भाईचारा केवल एकतरफा सहिष्णुता पर टिका रहेगा, तो यह दीर्घकालिक नहीं हो सकता।
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2025-03-16विप्लव विकास
चैतन्य महाप्रभु ने कैसे बंगाल को इस्लामीकरण से बचाया? संकीर्तन आंदोलन क्या है ? जगन्नाथ पूरी का गौरांग महाप्रभु से सम्बन्ध क्या है ? ये सब जानने के लिए इस आलेख को पढ़ें।
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